Friday, 18 June 2021

आज की वो सुकून पल


मैं एक विद्यार्थी हूं। आज मैं सुबह 5 बजे उठा , और नहा धोकर तैयार होकर अपना गृहकार्य किया । जैसे ही गृहकार्य खत्म किया , वैसे ही मेरे पापा ने मुझे बाजार जाने को कहा। मैं बाजार गया। मां ने मुझे बताया था कि बाजार से कुछ सब्जियां भी लेते आना। और पापा ने अपने लिए कुछ जरुरत की सामान मंगवाया था। मैं अपने मम्मी और पापा के सामान खरीदा। और मेरे लिए कुछ किताबें भी लिया। मैं बाजार से निकला। 

रास्ते में मुझे एक वृद्ध सज्जन  मिले। उन्होंने मुझे बुलाया और कहा बेटा कहां जा रहे हो।  और हम दोनों कुछ बातें करने लगे । और उन्होंने मुझे समझाया कि जीवन में किस तरह दूसरों की मदद करना चाहिए । और उन्होंने ये भी सिखाया कि जैसे ही हम दूसरों की मदद करने के लिए अपना जेब खोलते हैं। वैसे ही भगवान हमें देने के लिए अपना दिल खोलते हैं । मुझे उस सज्जन से मिलकर बहुत अच्छा लगा । मैंने उस सज्जन को घर  पे चाय के लिए बुलाया । और मैं वहां से निकला, और घर पहुंचा।  मां ने थैले से सब्जियां निकाली । मैंने पापा के सामान दिए और मैं छोटे छोटे बच्चों के साथ कुछ समय खेला। और पुनः मैं अपना अध्ययन करने लगा।।

दोपहर

जैसे ही मैं अपना अध्ययन पूरा  किया।
‌मैं अपना भोजन ग्रहण कर के टी वी न्यूज देखा , और साथ में ही मम्मी पापा भी खाना खा करके मेरे साथ न्यूज देख रहे थे।  फिर मैं अपने दादा के साथ बगीचे की ओर घूमने चला गया। और प्रकृति का अनुपम दृश्य मन को मोह लेने वाला था । वहां हमने चिड़ियों की चहचहाहट तथा तरह के जानवर हमने देखे। बहुत हम दोनों खुश थे। प्रकृति की सौंदर्य अत्यंत लुभावनी थी। दादा ने कहा ही था, कि बगीचे में घूमकर , प्रकृति के अनुपम दृश्य का आनंद उठाकर हम अपने रिश्तेदार के यहां जायेंगे ।
शाम को घर लौटते समय
‌रिश्तेदार के यहां घूमकर आने के बाद काफी शाम हो गया था , सूरज ढलने ही वाला ही था ।
‌और मैं उस वृद्ध सज्जन को देखा , जो सुबह मैं उनसे मिला था । मैं उस सज्जन से कहा चलो आज की रात हमारे घर चलो। सज्जन नहीं मान रहे थे । फिर दादा ने भी कहा चलो बच्चा जिद कर रहा है ।
‌और हम तीनों घर की तरफ लौटे। 



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